मैं देख नहीं सकता अपनी आत्मा के अंदर, या मिनट देखें जैसे-जैसे हम सब बूढ़े होते जाते ह मैं देख नहीं सकता अपनी आत्मा के अंदर, या मिनट देखें जैसे-जैसे हम सब बूढ़े हो...
कब मेरी सोच ने, सोचना बंद कर दिया था, कहाँ से विचारों ने, शून्यता का रुख किया था, कब मेरी सोच ने, सोचना बंद कर दिया था, कहाँ से विचारों ने, शून्यता का र...
यथार्थ का आईना दिखाती एक कविता। यथार्थ का आईना दिखाती एक कविता।
हर कोई अच्छा नहीं हो सकता है, लेकिन हर किसी में कोई न कोई बात अच्छी होती है। कभी भी हर कोई अच्छा नहीं हो सकता है, लेकिन हर किसी में कोई न कोई बात अच्छी होती है।...
उसको ही ख़ुदा भेज हक़ीक़त में आज़म की मेरे आ रही जो ख़्वाब में ख़ूब परी है। उसको ही ख़ुदा भेज हक़ीक़त में आज़म की मेरे आ रही जो ख़्वाब में ख़ूब परी है।
मेरा चाँद तो मेरे पास बैठता है। मेरा चाँद तो मेरे पास बैठता है।